केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कहा- कोरोना की वैक्सीन हर किसी के लिए नहीं

सेहतराग टीम

कोरोना वायरस कहर के बीच कोरोना की वैक्सीन को लेकर नई खबर सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने आज प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि कोरोना वैक्सीन सभी के लिए नहीं हैं। वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने इस विषय पर कहा कि यह सवाल अच्छा है और यह सवाल इस बात पर निर्भर करेगा कि वह टीका कितना प्रभावशाली है।

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दरअसल राजेश भूषण से प्रेस कॉन्फ्रेंस में सवाल किया गया कि 'पूरे देश का वैक्सीनेशन कब तक होगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, पूरे देश के टीकाकरण की बात सरकार ने कभी नहीं कही। मैं यह बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं। मैं बार-बार यह कहता हूं कि जो साइंस से संबंधित विषय होते हैं अच्छा होता उस पर चर्चा करने से पहले उसके बारे में जो तथ्यात्मक जानकारी है उसको पता कर लें तब विश्लेषण करें। तो पूरे देश के टीकाकरण की बात कभी नहीं कही गई।

इसके बाद इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने इस विषय पर कहा 'यह अच्छा सवाल है। यह सवाल इस बात पर निर्भर करेगा कि वह टीका कितना प्रभावशाली है। जाहिर सी बात है किसी व्यक्ति में यह 60 फ़ीसदी प्रभावशाली हो सकता है तो किसी में यह 70 फ़ीसदी प्रभावशाली हो सकता है। यह पहला मुद्दा है। दूसरा मुद्दा यह है कि हमारा मकसद है कि हम वायरस की ट्रांसमिशन चेन को ब्रेक करें। तो अगर हम जनता के नाज़ुक हिस्से को वैक्सीन दे दें और वायरस के ट्रांसमिशन को ब्रेक कर दें तो तो शायद हमें पूरे देश की जनता को वैक्सीन देने की जरूरत ना पड़े।

इसके अलावा दूसरी बात यह भी है कि मास्क का रोल भी बहुत अहम है और यह वैक्सीनेशन के बाद भी जारी रहेगा क्योंकि शुरुआत में हम छोटी सी जनसंख्या से वैक्सीनेशन शुरू करेंगे। इसलिए मास्क सुरक्षा देगा और इसका इस्तेमाल जारी रखना होगा जिससे वायरस के ट्रांसमिशन को रोका जा सके।

क्या जो लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं उनको भी वैक्सीन दी जाएगी? इस सवाल पर स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा 'वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के बारे में जो नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप है जिसकी अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल करते हैं उसके कार्यक्षेत्र में यह भी है और इसके बारे में विश्व के अनेक देश सोच रहे हैं कि क्या आपको वैक्सीनेशन के समय यह देखना चाहिए कि जिस व्यक्ति को आप वैक्सीन दे रहे हैं उसमें एंटीबॉडीज है कि नहीं है? इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है लेकिन यह वैज्ञानिक समुदाय में भी और देशों के बीच में भी चर्चा का विषय है।'

आईसीएमआर (ICMR) के महानिदेशक डॉ बलराम भार्गव ने इस पर और विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इस सवाल से दो मुद्दे जुड़े हुए हैं।

-अगर किसी के शरीर में पहले ही एंटीबॉडीज विकसित हो चुकी हैं और आप उसको वैक्सीन देते हैं तो कहीं इसका प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ेगा?

-क्या हम एंटीबॉडीज देखकर वैक्सीन दें और अगर किसी के शरीर में पहले से ही एंटीबॉडीज हो तो वैक्सीन बचाएं?

-तो जहां तक वैक्सीन से जुड़े प्रतिकूल प्रभाव का सवाल है तो हमारे पास अच्छा खासा डाटा है जो यह बताता है कि एंटीबॉडीज पहले से विकसित होने पर वैक्सीन का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। हालांकि अंतरराष्ट्रीय तौर पर इस पर चर्चा चल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन आपने सॉलिडेरिटी वैक्सीन ट्रायल में यह साफ कर चुका है कि एंटीबॉडी देखने की जरूरत नहीं है आप वैक्सीन दे सकते हैं।

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